Kalash
Saturday, 9 January 2021
Sunday, 23 August 2020
पाकिस्तान में जैन मंदिर और मस्जिद पर 'पोत दी सफ़ेदी', हो रही है आलोचना
alt="ऐतिहासिक धार्मिक इमारत" src="https://ichef.bbci.co.uk/news/624/cpsprodpb/315B/production/_113953621__113918050_mariv-1-1.jpg" />
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पाकिस्तान के सिंध प्रांत में दो ऐतिहासिक धार्मिक इमारतों की मरम्मत के दौरान पुरातत्व विभाग की तरफ से 'व्हाइट वॉश' किया गया है. जिस पर विशेषज्ञों का कहना है कि ये उन इमारतों की पहचान मिटाने के समान है.
;">दूसरी ओर प्रांतीय पुरातत्व विभाग का कहना है कि इनकी मरम्मत के लिए प्राचीन निर्माण सामग्री का ही इस्तेमाल किया गया है.
सांस्कृतिक विभाग और पुरातत्व विभाग ने ट्विटर पर अपने सरकारी हैंडल से हैदराबाद से 25 किलोमीटर दूर टिंडो फ़ज़ल में स्थित ऐतिहासिक मस्जिद की मरम्मत की तस्वीरें शेयर की थी.
अधिकारियों की तरफ़ से बताया गया था कि पुरातत्व के मानकों को ध्यान में रखते हुए इसकी मरम्मत की गई है, मरम्मत के बाद की और इससे पहले की तस्वीरों में पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के अध्यक्ष बिलावल भुट्टो को भी टैग किया गया था.
इन तस्वीरों की सोशल मीडिया पर कड़ी आलोचना की गई, जिसके बाद सांस्कृतिक विभाग और पुरातत्व विभाग ने इन तस्वीरों को हटा दिया ये तस्वीरें हिंगोरानी माड़ियों के अवशेषों की थी. पुरातत्व विभाग के अनुसार हिंगोरानी माड़ियों (हवेली) के नाम से ये सैय्यदों का गढ़ था. कल्होड़ा शासनकाल के शुरू में अफ़ग़ान बादशाह मदद ख़ान पठान ने वर्ष 1775 में हमला करके इसको तबाह कर दिया था.
इस हमले में दो मस्जिदें और एक मक़बरा और कुछ हवेलियाँ बच गई थीं, उस समय नूर मोहम्मद कल्होड़ो सिंध के शासक थे .
प्रांतीय संस्कृति मंत्री सैयद सरदार अली शाह ने बताया कि ये कल्होड़ा शासनकाल की इमारत है, जो वास्तुकला में चूने का इस्तेमाल करते थे. उस समय ईंट, चेरोली और चूना इस्तेमाल होता था. इसको ध्यान में रखते हुए ही इस मस्जिद की मरम्मत की गई है .
"ईंटों और चूने (लाइम स्टोन) के इस्तेमाल के बाद अगर इसको छोड़ दिया जाए, तो जो दरारें या स्पेस हैं, उससे इमारत कमज़ोर हो सकती है. इसलिए इसको मज़बूत और सुरक्षित बनाने के लिए इस पर बाहर भी लाइम स्टोन लगाया जाता है, ये व्हाइट वॉश बिल्कुल नहीं है."
प्रांतीय मंत्री का कहना है कि ट्विटर हैंडल विभाग का स्टाफ़ देखता है और उस पर आने वाले कमेंट्स देख क\र घबरा कर तस्वीरें हटाई गई और अब पूरी जानकारी के साथ उन्हें दोबारा शेयर किया जाएगा.
ये ऐतिहासिक इमारतें कहाँ हैं?
थार डिस्ट्रिक्ट हेडक्वार्टर मठ्ठी से लगभग सौ सवा सौ किलो मीटर दूर वर्तमान वीरा वाह शहर और पहले पारी नगर, भुड़ेसर और नगर पारकर शहर में स्थित जैन धर्म के इन मंदिरों की गिनती इस क्षेत्र के पुराने मंदिरों में होती है.
भुड़ेसर और वेरा वाह में स्थित कुछ मंदिरों की मरम्मत कराई गई है. सबसे बड़े मंदिर को गोड़ी मंदिर के नाम से जाना जाता है. इस मंदिर के गुंबद के अंदर चित्रात्मक कहानी मौजूद है.
पुरातत्व विभाग के डायरेक्टर जनरल मंज़ूर कैनासरों ने बीबीसी से बात करते हुए दवा किया है कि जैन मंदिरों की मरम्मत में कोई कोताही नहीं बरती गई है और ये काम पुरातत्व विभाग और वैज्ञानिक सिद्धांतों के अनुसार हुआ है.
उनका कहना था कि नगर पारकर और भोड़ेसर में जैन मंदिरों की मरम्मत का काम सिंध एंडावमेंट ट्रस्ट कर रहा है, जबकि दूसरी जगहों पर सिंध सरकार की ज़िम्मेदारी है.
उन्होंने ये भी कहा कि वेरा वाह मंदिर के गुंबद को व्हाइट वाश किया गया है, जबकि गूड़ी मंदिर की छत पर मौजूद चित्रात्मक कहानी अपनी वास्तविक स्थिति में मौजूद है.
डायरेक्टर जनरल के अनुसार ये मंदिर सिंध सरकार के स्वामित्व में है और एंडावमेंट फंड उसकी अनुमति से मंदिरों की मरम्मत में ख़र्च हो रहा है. उनका कहना था कि सिंध सरकार के इंजीनियर्स ने जगह का निरीक्षण किया है और इसमें कोई लापरवाही नहीं बरती गई है.
प्रांतीय मंत्री सैयद सरदार अली शाह ने भी ट्विटर पर लिखा है, "हम जाँच कर रहे हैं. हालाँकि नगर प्रकार शहर और भुड़ेसर के जैन मंदिर के संरक्षण के लिए एंडावमेंट फंड कर रहा है जबकि दूसरी इमारतों के लिए सिंध सरकार ने फंड किया है."
प्रांतीय मंत्री ने गूड़ी मंदिर पर कोई बात नहीं की है.